आई माताजी के बारे में
आई माता का जन्म ई. 1415 (वि. सं. 1472) में हुआ था। इन्हें दुर्गा माता का अवतार माना जाता है। अम्बा माता ने इनके पिता श्री बीका डाबी को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि मैं तुम्हारी पुत्री के रूप में धरती पर अवतरित हो रही हुँ। इस स्वप्न के पश्चात् बीकाके घर एक सुन्दर कन्या का जन्म हुआ। उन्होंने उसका नाम ‘जीजी’ (इसका अर्थ बहन होता है) रखा। बाद में वह कन्या आईजी के नाम से जानी जाने लगी। आईजी अपनी सुन्दरता और सबकी सहायता करने वाले स्वभाव के कारण बहुत प्रसिद्ध थी।
जीजी की सुंदरता के बारे में सुनकर मालवा सल्तनत के सुल्तान महमूद शाह खिलजी ने जीजी से शादी करने का निश्चय कर बीका डाबी के पास प्रस्ताव भेजा और उसकी बेटी का हाथ माँगा। दुविधा के साथ डाबी ने इस प्रस्ताव के बारे में जीजी को बताया। जीजी ने अपने पिता से इस शर्त पर हाँ करने को कहा कि शादी हिन्दू रीति और परम्परा के अनुसार होगी। हिन्दू परम्परा में कन्या के पक्ष को वर पक्ष के सभी लोगों.के भोजन का प्रबंध करना होता है। इस बात से महमूद खिलजी को आश्चर्य हुआ कि बीका डाबी एक झोपड़ी से एक सुल्तान की बारात की भोजन व्यवस्था कैसे कर पाएगा । लेकिन, जीजी ने अपनी झोपड़ी से हजारों लोगों के भोजन की व्यवस्था कर दी। महमूद इस बात का राज जानने के लिए उतावला हो उठा।